मीनू चिड़िया और उसके दोस्त कबूतर के दोस्ती की कहानी | Minu Chidiya Hindi Story

जंगल में नदी के किनारे पर एक जामुन का पेड़ था। उसी पेड़ पर मिन्नु नाम की एक चिड़िया रहती थी। मीनू चिड़िया का दोस्त एक कबूतर था जिसका नाम चिंकू था। जो नदी के किनारे घोंसला में रहता था मिन्नु और चिकु में गहरी दोस्ती थी। मीनू चिड़िया और चिकु कबूतर भोजन की तलाश में एक साथ जाया करते थे और कभी-कभी तो मीनू चिड़िया पेड़ से मिठे-मिठे जामुन के फल भी दोस्त चिकु के लिऐ ले आती थी। 

फिर कुछ ही दिन बाद मीनू चिड़िया अंडा देने वाली होती है, तो वह अपना घोसला बनाने के लिए जगह खोज रही थी। तभी, उसे एक बगीचे में आम का पेंड मिला, जिस पर वह अपना एक अच्छा और मजबूत घोंसला बनाने के लिए सोचती है। चिड़िया को अपना घोंसला बनाने में बहुत मेहनत और समय लगता है। फिर, वह अपने कबूतर दोस्त से मदद लेती है।  

इस काम में उसका दोस्त कबूतर चिकु भी उसकी सहायता करता है। जिससे मीनू का घोसला जल्द ही बनकर तैयार हो जाता हैं। अब चिड़िया अपना नया घोंसला देखकर बहुत खुश हो जाती है। फिर कुछ ही दिन बाद मिन्नु अंडे देती है। अंडे देने की वजह से मिन्नु भोजन के लिए नहीं जा पा रही थी। तब उसका दोस्त कबूतर उसके लिए भोजन ले आता था। कुछ दिन बाद मिन्नु का बच्चा अंडे से बाहर आ जाता है। जिसे देखकर मीनू और चीकू दोनों ही बहुत खुश होते है। मिन्नु ने अपने बच्चे का नाम चुनूँ, मुनू रखी थी। रोज कि तरह दोनों दोस्त भोजन के लिए जाते है। मिन्नु अपने बच्चे के लिए भी भोजन लाया करती थी। बस ऐसे ही सभी के जीवन खुशी से बित रहे थे। 

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फिर कुछ दिन बाद, जोर का तुफान आता है। जिससे मिन्नु चिड़िया का घोसला टूट जाता हैं। जिससे की चिड़िया और उसके बच्चें पेंड से निचे गिर जाते है, मीनू चिड़िया घायल हो जाती है। जिसके कारण वह अपना और अपने बच्चों की सहायता नही कर पाती हैं। तेज हवा के कारण मीनू चिड़िया नदी में गिर जाती हैं। नदी के बहाव से मीनू चिड़िया दुसरे जंगल में चली जाती हैं। उस दिन चिड़िया तूफ़ान का सामना करते करते वो हिम्मत हार चुकी थी, अब मीनू चिड़िया अपने दोनों बच्चे और दोस्त को खोने के कारण उदास और कमजोर हो गई थीं। चिड़िया तो तूफान में चोट आने की वजह से उड़ या चल फिर नहीं पा रही थी। कभी कभी वो आसपास से कुछ खा पीकर अपना गुजारा कर रही थी और अपने बच्चों के बारे में सोच कर रोती भी थी। 

इधर चिकु भी भोजन के तलाश में दुसरे जंगलों में अक्सर जाया करता था। ऐसे ही एक दिन चिकु कि नजर एक कमजोर और बिमार चिड़िया पर पडती है। चिड़िया को देखकर कबूतर को बहुत दया आती है। फिर उस बीमार चिड़िया कि सहायता करने के लिए पास जाता हैं। पास जाने पर देखता है कि वह चिड़िया कोइ और नहीं बल्कि उसकी दोस्त मीनू चिड़िया हैं। 

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मीनू चिड़िया को देख चिकु बहुत खुश हो जाता हैं, और कहता है दोस्त अच्छा हुआ तुम मिल गए, तुम्हारे जाने के बाद तो मैं अपना दोस्त ही खो दिया था। चलो मेरे साथ घर चलो, बच्चे हमारा इंतज़ार कर रहे होंगे। यह बात सुनकर मीनू चिड़िया रो पडती हैं और कहती है कि नहीं दोस्त उस जंगल मैं मेरे बच्चों को तडपता छोड़ तुफान की वजह से नदी में गिर गई थी। मेरे बच्चे इस दुनियाँ में नहीं रहे, अब मैं भी जी कर क्या करूंगी, मुझे तो मर ही जाना चाहिए। मैं अपने बच्चों का धयान नहीं रख पाई। 

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तभी चिकु बोला नहीं दोस्त ऐसा नहीं है तुम्हारे बच्चे जिंदा है मेरे पास है यह बात सुन कर मीनू चिड़िया बहुत ही खुश हो जाती हैं और उसमें जीने की इच्छा फिर से जग जाती है। फिर वो अपने दोस्त चिकु के साथ घर आ जाती हैं। फिर वो देखती है की उसके बच्चें उसी कबूतर के घोंसले में चुन्नु मुन्नु खेल रहे होते हैं। मीनू चिड़िया अपने दोनों बच्चों को पाकर और बच्चे अपने माँ को पाकर खुश हो जाते हैं। मीनू चिड़िया चिकु को अच्छे दोस्त होने का शुक्रिया करती है और फिर चिकु कबूतर मीनू चिड़िया और उसके बच्चे चुन्नु मुन्नु एक साथ फिर से खुशी खुशी रहने लगते हैं।